Home Uttarakhand Dehradun यूसीसीः ड्राफ्ट तैयार करने वालों पर शक क्यों ?

यूसीसीः ड्राफ्ट तैयार करने वालों पर शक क्यों ?

यूसीसीः ड्राफ्ट तैयार करने वालों पर शक क्यों ?

देहरादून। Why doubt those who prepared the UCC draft? उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शुक्रवार को यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किए जाने को लेकर गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने फाइनल ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। कल (आज) को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में धामी कैबिनेट में इस पर मुहर लगाने के साथ ही 6 फरवरी को विधानसभा सत्र के पटल पर विधेयक रखा जाएगा।

वहीं सूत्रों की माने तो, ड्राफ्ट में क्या है, यह बात ड्राफ्ट के विधानसभा के पटल पर रखे जाने तक गोपनीय रखने के लिये विशेषज्ञ समिति के सदस्यों की विषेश निगरानी की जाएगी, मीडिया से भी दूरी बनाई गई है। पुलिस प्रशासन भी हालात पर नजर रख रहा है, विरोध-प्रदर्शन करने वालों को चिंहित करने तक के आदेश दिये गये है। वहीं, यूसीसी का फाइनल ड्राफ्ट मिलने के बाद से बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। समाजिक संगठनों, बुद्धजीवियों और राजनीतिक विशेषज्ञ भी यूसीसी को लेकर अलग-अलग राय दे रहे हैं।

उत्तराखण्ड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड भाजपा का चुनावी मुद्दा रहा है वे चुनावी समय पर ही इसको बार-बार हवा देते रहे हैं। 2024 लोकसभा चुनाव के मद्दे नज़र और देश प्रदेश के महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकने के लिए इस फिर लाया जा रहा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने चुनावी लाभ के लिए यूसीसी लाने के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस के पास भी सुनहरा मौका है कि जब सदन में कानून आए तो उस पर सकारात्मक ढंग से चर्चा करे। साथ ही सर्वसमिति से उसे पास करने में अपनी सहभागिता देकर उसका चुनावी लाभ ले। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस नेताओं को सलाह दी कि आलाकमान का हुकुम बजाने के बजाय थोड़ा देवभूमि की भावनाओं के प्रति दायित्व का भी निर्वहन भी करें, ताकि सर्वसम्मति से यूसीसी लागू करने वाला उत्तराखंड  पहला राज्य बने।

एआईसीसी के सदस्य व उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने यूसीसी पर कहा कि जब तक हम यह ना जान ले की किस रूप में लाया जा रहा है तब तक पार्टी न उसके समर्थन में है न विरोध में, मगर पार्टी का स्पष्ट मानना है कि यूसीसी की मांग न तो जनता कर रही है न ही भाजपा को छोड़ कर कोई राजनैतिक दल या कोई सामाजिक संगठन बल्कि यह भाजपा का अपने असफल कार्यकाल व अपने भ्रस्टाचार को ढकने के लिए किया जा रहा प्रपंच है।

धस्माना ने कहा कि कांग्रेस पार्टी यूसीसी पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया यूसीसी का मसौदा सार्वजनिक किए जाने के बाद देगी। उन्होंने कहा कि राज्य की जनता भर्ती घोटाले की बात करती है, अंकिता भंडारी हत्याकांड के पीछे वीवीआइपी कौन था पूछती है, खनन, कृषि व अन्य घोटालों के बारे में सरकार से सवाल जवाब करती है और सरकार यूसीसी का राग अलापने लगती है। उन्होंने कहा कि यूसीसी से राज्य का क्या भला होगा इसके बारे में सरकार या भाजपा कुछ बताने को तैयार नहीं है।

माकपा के राज्य सचिव कॉमरेड राजेंद्र सिंह नेगी व वामपंथी नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार की और से जिस तरह शुक्रवार को रिपोर्ट मिलने के तीसरे दिन समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को विधानसभा में पेश करने की तैयारी है, वह हड़बड़ी दर्शाती है कि बिना विचारे, सिर्फ चुनावी लाभ के लिए आजमाया जा रहा हथकंडा है, यूसीसी। वामपंथी नेताओं ने कहा कि यूसीसी का उपयोग राज्य की भाजपा सरकार केवल अल्पसंख्यकों में भय पैदा करने और सांप्रदायिक धु्रवीकरण के लिए करना चाहती हैं।

वामपंथी नेताओं ने कहा कि देश को एकरूपता की आवश्यकता नहीं है बल्कि समानता की जरूरत है और देश की विविधता और विभिन्नता को संरक्षित करने की आवश्यकता है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक, कानून व्यवस्था की और से यूसीसी का विरोध करने वालों को चिन्हित करने और उन पर कार्यवाही करने का निर्देश देना अलोकतांत्रिक और दमनात्मक है, उन्होने कहा कि क्या देश में आपातकाल लागू है, कि कोई कुछ बोल नही साकता।

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट सरकार को सौंपे जाने के बाद जमीअत उलेमा हिंद के उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद कासमी और प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अहमद कासमी ने कहा कि अभी तक हमने ड्राफ्ट नही देखा है, ड्राफ्ट सामने आने के बाद उसका अध्यन किया जाएगा, विधिक राय ली जाएगी, तभी कोई बात कही जा सकती हैै।

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखण्ड बेरोजगार संध के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि अगर ये बिल उत्तराखण्ड सरकाार ला रही है, तो यह राज्य की सीमा तक सीमित होगा, समान नागरिक संहिता को केंद्र सरकार को लागू करनी चाहिए। बाकी ड्राफ्ट सामने आने के बाद कुछ कहा जाएगा, समानता के अधिकार पर क्या प्राविधान किये गये हैं, यह भी देखना होगा। ऐसा लगता है कि यह सब कुछ वोट बैंक की खातिर किया जा रहा है।