Home Uttarakhand Dehradun उर्दू हिन्दी की जुड़वा बहन : खान

उर्दू हिन्दी की जुड़वा बहन : खान

उर्दू हिन्दी की जुड़वा बहन : खान

देहरादून। विश्व उर्दू दिवस के मौके पर डॉ. रियाज़ हसन सिद्दीकी की और से सर सैय्यद हाल वन विहार में ‘उर्दू क्यों पढ़े’ विषय पर एक सेमिनार व मुशायरे का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए जयपुर यूनिवर्सिटी उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष व 25 से अधिक किताबों के लेखक डॉ. फिरोज अख्तर अहमद ने कहा की ज़ुबान दो तरह की होती हैं।

ज़ुबान दंसान की शखसियत को निखारने का मौका देती हैं, ज़ुबान कुदरत का तोहफा हैं। उन्होने कहा कि भारत ज़ुबानों की खान हैं, बगैर जुबान के काम नही चलेगा। जुबान ने ही इंसान को इंसान बनने का मौका दिया हैं। उन्होने कहा कि उर्दू क्यू पढ़े,इस पर चर्चा किये जाने की जरूरत है, यह भाषा भारतीय भाषा है, इस लिये भी इस के विकास पर जौर दिये जाने की जरूरत है। उन्होन कहा कि मुसलमान अगर हिंदुस्तान में न आते तो भी यहां एक नई जुबान बनने के आसार थे। उर्दू हमारी मजबूरी नहीं हैं, यह इस देश की जरूरत हैं।

मुख्य अतिथि प्रो. तनवीर जिश्ती ने कहा की उर्दू जुबान सबसे जदीद जुबान हैं, हमे इसकी तरक्की के लिए काम करने की जरूरत है। डॉ. अब्दुल रब ने कहा की उर्दू जुबान ने जंगे आजादी में अहम किरदार निभाया हैं। यह जुबान हमे विरासत में मिली हैं। इस मौके पर प्रयाग आईएएस अकादमी के निदेशक आर ए खान ने कहा की 9 नवंबर को अल्लामा इकबाल के जन्मदिन को विश्व उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता,

उन्होने कहा कि इकबाल की शायरी के तीन दौर थे, पहले दौर में उन्होनें राष्ट्रवाद व वतन परस्ती की शायरी की, इसी दौर में ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’ लिखा गया, दूसरे दौर में उन्होने समानता और समाज में एकता की शायरी की। आर ए खान ने कहा की अल्लामा इकबाल ने खुद कहा है कि मैरी शायरी का तीसरा दौर कुरआन और हदीस पर आधारित है।

उन्हाने कहा कि उर्दू को इस लिये पढ़ा जाए क्योकि यह हमारी तहजीब का हिस्सा है। उन्होने यह भी कहा कि उर्दू जुबान आज मदरसों तक मेहदूद होकर रह गई हैं, उन्होने कहा कि उर्दू में आईएएस की परीक्षा दे सकते हैं, सरकारो ने उर्दू पर उतना काम नही किया जितना होना चाहिए था, आज उर्दू जुबान की अनदेखी हो रही हैं, उर्दू को रोजगार से जोड़ा जाए, तभी उर्दू भाषा का विकास होगा। उन्हाने कहा कि उर्दू हिन्दी की जुड़वा बहन हैं। अंबिका रूही ने कहा कि उर्दू भारत की जुबान।

सेमिनार के आयोजनकर्ता डॉ. रियाज़ हसन सिद्दीकी ने उर्दू की शुरुआत पर रोशनी डाली। इस मौके पर डॉ. सरफराज हसन, जिया नेहटोरी, नदीम बर्नी, डॉ. एस एम अंसारी, जहांगीर अली, अफ़ज़ल ज़मीर बैग, रईस फिगार, इफ्तखार सागर, इनाम रमजी, जावेद अख्तर, आरिफ खान व कबीर अंसारी आदि मौजूद रहे। इस मौके पर डॉ. अब्दुल रब को उर्दू भाषा में पीएचडी करने पर सम्मानित किया गया।