5,399 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे 30,83,500 मतदाता
मौहम्मद शाह नज़र
देहरादून। उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बच चुका है। सर्द मौसम में पार्टियों और प्रत्याशियों को वोटरों के सामने पसीना-पसीना होते हुए देखा जा सकता है। उत्तराखंड के कुल 100 निकायों में हो रहे चुनाव को दो वर्ष बाद होने वाले विधानसभा के आम चुनाव का सेमीफाइनल और राज्य सरकार के 3 साल के कामकाज का हिसाब भी माना जा रहा है।
वही भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी इस बार के निकाय चुनाव से जुड़ी हुई है। दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों को अपनी-अपनी पार्टी के बागियों से दो-चार होना पड़ रहा है। कई स्थानों पर तो भाजपा कांग्रेस के स्थान पर भाजपा और भाजपा के बागी तो, वहीं कांग्रेस और कांग्रेस के बागी आमने-सामने चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। पिथौरागढ़ से लेकर हरिद्वार तक बागियों ने दोनों ही पार्टियों के नाक में दम किया हुआ है। भाजपा व कांग्रेस अभी तक 100 से अधिक नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा चुकी है।
वही कई नेता ऐसे हैं जिनको बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पार्टी ने हाईकमान तक का दरवाजा खटखटाया हुआ है। कांग्रेस में जहां कुछ बागी चुनावी मैदान में है तो कुछ ने भाजपा का दमन थाम कर कांग्रेस को दोहरी मार दी है। इसके अलावा कांग्रेस के पिथौरागढ़ से विधायक मयूख महल अभी भी पार्टी की अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बागी प्रत्याशी को समर्थन करने के बाद से चर्चाओं में है, जिसको लेकर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और विधायक मयूख महर के बीच जुबानी जंग चल रही है। तो वहीं पार्टी अनुशासन समिति ने इस पूरे प्रकरण पर अपनी संस्तुति पार्टी आलाकमान को भेज कर निर्णय लेने का आग्रह किया है। यह तो आने वाला भविष्य ही बताएगा कि क्या कांग्रेस मयूख महर के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाती है या नहीं, लेकिन इतना तय है कि पिथौरागढ़ में कांग्रेस तीन खेमों में बट कर कमजोर हो गई है।
क्योंकी निकाय चुनाव के पहले उत्तराखंड कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। ये तीनों ही नेता कुमाऊं मंडल के हैं। इन तीनों नेताओं के भाजपा में शामिल होने से हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा की साख को भी बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस नेता हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य व प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कुमाऊं से ही आते हैं। उत्तराखंड में कांग्रेस संगठन का दारोमदार इस समय करन माहरा के हाथों में है, मगर हरीश रावत व आर्य उत्तराखंड कांग्रेस में एक सर्वमान्य नेता हैं। ऐसे में उन्ही के इलाके से बड़े कांग्रेसी नेताओं का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए भी काफी बुरी खबर है।
टिकट बंटवारे के विवादों के बीच सबसे बड़ा और चर्चित विवाद और कांग्रेस के लिए सदमा मथुरादत्त जोशी का जाना है। जोशी इस बात से नाराज थे कि पार्टी में इतने लंबे समय तक सेवा देने के बावजूद उनकी पत्नी को पिथौरागढ़ मेयर का टिकट नहीं दिया गया। कांग्रेस में कई पदों पर 45 साल तक सेवा देने वाले उपाध्यक्ष संगठन मथुरादत्त जोशी ने बीते शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके कुछ देर बाद ही पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया।
मथुरादत्त ने पिथौरागढ़ नगर निगम के मेयर पद पर पत्नी को टिकट न मिलने पर कई वरिष्ठ नेताओं पर खनन, शराब माफिया को संरक्षण देने का गंभीर आरोप लगाया था। (इन आरोपों पर फिर कभी बात की जाएगी।) उनकी बयानबाजी के बाद से पार्टी के कई नेता काफी असहज थे तो संगठन के स्तर पर भी इसे गलत माना जा रहा था।
मथुरा दत्त जोशी ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थाम लिया था, जिसके बाद कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहर दसौनी फफक पड़ीं और बोलीं, ‘‘जोशी का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत हानि है। इतने लंबे समय तक सेवा करने वाले नेता हर कार्यकर्ता, नेता को समझने लगते हैं। मुझे लगता है राज्य में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसके साथ उनका संपर्क न रहा हो। इतना सबकुछ पार्टी ने दिया। इसके बावजूद पार्टी से ये नाखुशी।
पार्टी के प्रति इतने अपमानजनक शब्द। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए जो कुछ भी कहा मुझे लगता है कि वह स्वीकार्य नहीं है। मथुरादत्त जैसा सभ्य, सधी भाषा शैली वाला व्यक्ति अगर ऐसी बात करता है तो कहीं न कहीं दूसरी पार्टी से उनकी अंदरखाने सेटिंग उजागर होती है’’। यही नही कुमाऊं मंडल के ही एक और बड़े नेता बिट्टू कर्नाटक ने भी हाल में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली है। बिट्टू कर्नाटक अल्मोड़ा से मेयर का टिकट चाहते थे।
टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। बिट्टू कर्नाटक, कांग्रेस नेता हरीश रावत के करीबी माने जाते हैं। उनके इस्तीफे के बाद अल्मोड़ा में कांग्रेस कमजोर हो गई है। कांग्रेस से इस्तीफे के बाद बिट्टू कर्नाटक ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाये, उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व की कार्य प्रणाली और टिकट बंटवारे पर असंतोष जाहिर किया। बिट्टू कर्नाटक ने कहा ‘‘वे कई सालों से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं, वे एक समर्पित कार्यकर्ता की तरह काम कर रहे थे, मगर पार्टी ने निकाय चुनाव में उनकी अनदेखी की है। जिसके कारण वे कांग्रेस से इस्तीफा दे रहे हैं’’।
इसके अलावा कांग्रेस नेता जगत सिंह खाती ने भी निकाय चुनाव से पहले भाजपा की शरण ले ली है। जगत सिंह खाती बेरीनाग से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं। जगत सिंह खाती के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ। कुमाऊ के इन तीन बड़े नेताओं के भाजपा में जाने से कांग्रेस को 2016 की बगावत के बाद सबसे बड़ा झटका लगा है। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भण्डारी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी।
बागीः प्रदेश भर में एक जेसे हालात
निकाय चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के लिए इस बार बागियों से निपटना चुनौतीपूर्ण हो गया है। बागी नेताओं पर कार्रवाई की जा रही है, मगर मौजूदा नगर निकाय चुनाव में निर्दलीय पार्टी प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ सकते हैं। बागी प्रत्याशी कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर रहे हैं।
अगर पौड़ी नगर पालिका चुनाव की बात की जाए तो यहां अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो गई हैं पार्टी के चार बागी उम्मीदवारों ने निर्दलीय ताल ठोकी हुई है, जिससे भाजपा का समीकरण बिगड़ सकता है। भाजपा से बगावत कर चुनावी मैदान में उतरे निर्दलीय प्रत्याशियों में प्रियंका पंत थपलियाल, हिमानी नेगी, बीरा भंडारी और कुसुम चमोली शामिल हैं।
इन सभी ने नामांकन वापसी की तारीख तक अपना नाम वापस नहीं लिया और अब अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष ने इन बागी उम्मीदवारों की सूची पार्टी के प्रदेश संगठन को भेजी है। दूसरी ओर, बागी प्रत्याशियों का कहना है कि उन्होंने शहर के हित को ध्यान में रखते हुए चुनाव लड़ने का फैसला किया है, वे पार्टी के फैसले का सम्मान करेंगे, लेकिन फिलहाल चुनाव जीतने पर पूरा ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनाव परिणामों पर क्या असर पड़ता है और भाजपा इस स्थिति को कैसे संभालती है।
इसके अलावा रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने भले ही रुद्रपुर नगर निगम में भाजपा मेयर प्रत्याशी के समर्थन में अपना नामांकन वापस ले लिया हो, मगर पार्टी ने ठुकराल को अभीतक अपनाया नहीं है। क्योंकि भाजपा ने राजकुमार ठुकराल के पार्टी कार्यक्रम में शामिल होने पर नो एंट्री लगा दी है। उधम सिंह नगर से भाजपा के जिला अध्यक्ष कमल जिंदल ने इसको लेकर एक लेटर जारी किया।
उधमसिंह नगर भाजपा जिलाध्यक्ष कमल जिंदल ने जो लेटर जारी किया, उसमें स्पष्ट किया है कि पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की अभी तक भारतीय जनता पार्टी में ज्वाइनिंग नहीं हुई है। राजकुमार ठुकराल ने भाजपा प्रदेश नेतृत्व के सामने जाकर रुद्रपुर भाजपा मेयर प्रत्याशी विकास शर्मा को बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव किया था, जिसके आधार पर उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दिया, मगर राजकुमार ठुकराल ने अभीतक भाजपा ज्वाइंन नहीं की है, इसीलिए वो पार्टी के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं होगे।
इस पत्र के वायरल होने के बाद फिर से बगावत के संकेत मिलने लगे हैं। बता दें कि रुद्रपुर नगर निगम में मेयर पद के लिए पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल और उनके भाई ने निर्दलीय नामांकन किया था। नामांकन के बाद राजकुमार ठुकराल की देहरादून में सीएम पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से मुलाकात हुई थी।
सीएम पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात के बाद राजकुमार ठुकराल और उनके भाई ने अपना नामांकन वापस लिया था, साथ ही भाजपा प्रत्याशी समर्थन देने की घोषणा की थी, इसके अलावा शुक्रवार तीन जनवरी को राजकुमार ठुकराल भाजपा प्रत्याशी के चुनाव कार्यलाय पहुंचे थे, जहां उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी और भाजपा के अन्य नेताओं की शान में कसीदें पढ़ें थे यानि उनकी जमकर तारीफ की थी, मगर इस कार्यक्रम के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष की तरफ से राजकुमार ठुकराल का पार्टी कार्यक्रम में नो एंट्री का लेटर जारी हो गया। जिससे बवाल होना स्वभाविक है।
गौरलतब है कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में राजकुमार ठुकराल रुद्रपुर सीट से भाजपा के विधायक बने थे, मगर साल 2022 में भाजपा ने राजकुमार ठुकराल को टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद राजकुमार ठुकराल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर चुनावी मैदान में उतरे थे। राजकुमार ठुकराल के इस कदम के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था।
हालांकि राजकुमार ठुकराल भी ये चुनाव जीत नहीं पाए थे, तभी से वो पार्टी से निष्कासित चल रहे है, लेकिन निकाय चुनाव से ठीक पहले राजकुमार ठुकराल के कांग्रेस में जाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने भी उन्हें मेयर का टिकट नहीं दिया। अब कहा जा रहा है कि पार्टी ने राजकुमार ठुकराल से पर्चा वापस करा कर उन्हे अपनाने से परहेज कर लिया है।
वहीं, नगर पंचायत नगला में अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ रहे निर्दलीय प्रत्याशी विक्रम माहोड़ी ने भाजपा प्रत्याशी सचिन शुक्ला पर डराने, धमकाने और बाहुबल का प्रयोग करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं, निर्दलीय प्रत्याशी विक्रम माहोड़ी ने एसपी से सुरक्षा देने की गुहार लगाई है। दरअसल निर्दलीय प्रत्याशी विक्रम माहोड़ी ने आरोप लगाया है कि नामांकन कराने से लेकर नाम वापसी तक उन्हें भाजपा प्रत्याशी सचिन शुक्ला की और से कई तरह के प्रलोभन दिए गए, जब उनके द्वारा सभी प्रस्ताव ठुकरा दिए गए, तो अब उन्हें बाहुबल के जरिए डराया-धमकाया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि भाजपा-कांग्रेस इन बागियों से कैसे पार पाती है।
5,399 प्रत्याशी, 30,83,500 मतदाता
उत्तराखंड निर्वाचन आयुक्त के अनुसार, राज्य में कुल 30,83,500 मतदाता हैं, जिनमे महिला मतदाता की संख्या 14 लाख 93 हजार 519 हैं, जबकि पुरुष मतदाता 15 लाख 89 हजार 467 हैं, अन्य वोटर्स 514 हैं। इस तरह प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 30,83,500 हैं।
चुनाव के एलान से पहले पहले राज्य चुनाव आयोग और नगर विकास विभाग ने नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत की सीटों के आरक्षण की आपत्तियों को निस्तारित किया था। इसके बाद आरक्षण की अंतिम सूची जारी की गई थी। 27 दिसंबर से 30 दिसंबर तक नामांकन के दौरान कुल 6433 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया था।
मगर अब नगर निकाय चुनाव में कुल 5,399 प्रत्याशी चुनावी मैदान हैं। इसमें से नगर प्रमुख/ अध्यक्ष पद के लिए 514 प्रत्याशी और सभासद/सदस्य के लिए 4885 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा 47 प्रत्याशियों की चुनाव में जीत सुनिश्चित मानी जा रही है। हालांकि, नामांकन पत्रों की जांच के दौरान कुल 205 नामांकन पत्रों को खारिज किया गया था।
इसके साथ ही नाम वापसी की अंतिम तिथि यानी 2 जनवरी को 782 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन वापस लिया था। उत्तराखंड में कुल 100 नगर निकायों पर चुनाव हो रहे हैं। इसमें 11 नगर निगमों, 43 नगर पालिका परिषद और 46 नगर पंचायतें शामिल हैं। प्रदेश के 11 नगर निगमों के नगर प्रमुख के लिए कुल 72 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जबकि सभासद पदों के लिए 2009 प्रत्याशी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
इसी तरह, 43 नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए 211 प्रत्याशी और नगर पालिका सदस्य के लिए 1596 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा, 46 नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए 231 प्रत्याशी और नगर पंचायत सदस्य के लिए 1280 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। इसके साथ ही एक अध्यक्ष नगर पालिका परिषद और दो अध्यक्ष नगर पंचायत निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं। 14 सभासद नगर निगम, 20 सदस्य नगर पालिका परिषद और 10 सदस्य नगर पंचायत निर्विरोध निर्वाचित हुए, यानी कुल 47 पदों के लिए प्रत्याशी निर्विरोध चुने गए हैं।
11 नगर निगम सीटों का आरक्षण
देहरादून नगर निगम सीट अनारक्षित
ऋषिकेश नगर निगम- अनुसूचित जाति
हरिद्वार नगर निगम सीट- ओबीसी महिला
रुड़की नगर निगम- महिला
कोटद्वार नगर निगम -अनारक्षित
श्रीनगर नगर निगम-महिला
रुद्रपुर नगर निगम सीट -अनारक्षित
काशीपुर नगर निगम- अनारक्षित
हल्द्वानी नगर निगम- सामान्य
पिथौरागढ़ नगर निगम- महिला
अल्मोड़ा नगर निगम-ओबीसी