Home Uttarakhand Dehradun हैंड फुट एंड माउथ डिजीज वायरस की चपेट में आ रहे बच्चे

हैंड फुट एंड माउथ डिजीज वायरस की चपेट में आ रहे बच्चे

हैंड फुट एंड माउथ डिजीज वायरस की चपेट में आ रहे बच्चे

बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण करते चिकित्सक।

श्रीनगर गढ़वाल। पौड़ी जिले श्रीनगर नगर क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न स्थानों में बच्चे हैंड फुट एंड माउथ डिजीज वायरस से फैलने वाली बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। जिसे मेडिकल लैंग्वेज में कॉक्ससैकी वायरस भी कहा जाता है। श्रीनगर बेस चिकित्सालय में हर दिन 4 से 5 बच्चे बीमारी के लक्षण लेकर उपचार के लिए पहुंचे रहे हैं।

डॉक्टरों की मानें तो यह अत्यधिक सक्रांमक रोग है, जो संक्रमित बच्चे से दूसरे बच्चे के संपर्क में आने से तेजी से फैलता है। डॉक्टरों ने अभिभावकों को ऐसे लक्षण दिखने पर खास ध्यान देने की सलाह दी है। राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सीएम शर्मा ने बताया कि इन दिनों हैंड फुट एंड माउथ डिजीज से बच्चे प्रभावित हो रहे हैं।

कॉक्ससैकी वायरस से यह बीमारी होती है। ये वायरस एक बच्चे से दूसरे बच्चे में तेजी से फैलता है। यह एक वायरल बीमारी है। हालांकि, इससे डरने की बात नहीं है क्योंकि समय से परामर्श लेने पर ये बीमारी एक हफ्ते के भीतर ठीक हो जाती है।

बेस चिकित्सालय में डॉक्टर बच्चों को जरूरी दवा के साथ ही अभिभावकों को विशेष सलाह भी दे रहे हैं। लेकिन जरूरी यह है कि इस समय विशेष एहतियात बरतने की जरूरत होती है। प्रोफेसर शर्मा के मुताबित यदि कोई बच्चा संक्रमित हो गया हो तो उसे स्कूल ना भेजें। उसे अन्य बच्चों से कुछ दिनों के लिए दूर रखें। ताकि अन्य बच्चे भी संक्रमित ना हों। यदि किसी बच्चे को खाना खाने में, निगलने में दिक्कत हो रही है या ज्यादा छाले हों तो चिकित्सक को दिखाएं।

श्रीनगर बाल रोग विभाग के एचओडी प्रोफेसर सीएम शर्मा ने बताया कि ये 2 से 5 साल तक के बच्चों में सबसे अधिक फैल रहा है। बीमारी की शुरुआत तेज बुखार से होती है, जो इसके शुरुआती लक्षणों में से एक है। बच्चे के गला सूखने, हथेलियों, तलवे या कभी-कभी बटक्स पर छोटे लाल दाने या छाले हो सकते हैं। इससे बच्चे को भूख नहीं लगती है।

मुंह में छालों के कारण दर्द होने के कारण खाना नहीं खाते हैं। शर्मा ने बताया कि उक्त बीमारी से बचाव हेतु साफ-सफाई जैसे बच्चे के हाथ साबुन से धोएं, स्वस्थ्य बच्चों से अलग रखे, संक्रमित के लार, सांस या मल के सीधे संपर्क में आने से बचें। इस बीमारी में बच्चे को पौष्टिक आहार दें। अधिक से अधिक तरल पदार्थ खिलाएं। बुखार का तापमान यदि 100 से अधिक हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।