- अब अदालत के बाहर समझौता करना आसान नहीं होगा
- विवेचना में घटनास्थल पर पहुंच कर करनी होगी वीडियो रिकार्डिंग
- अंग्रेजों के जमाने के कानून में हुआ बड़ा बदलाव
नई दिल्ली। आज यानी 1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के नाम से जानी जाएगी। आईपीसी में कुल 511 धाराएं थी, मगर नये कानून के तहत भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी। धाराओं का क्रम और स्वरूप में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे।
नए कानून में वैसे तो बहुत बदलाव हुए हैं, खास बात यह भी है कि संगीन अपराधों में सत्र परीक्षण के दौरान आरोपी डरा-धमकाकर व लालच आदि के दम पर समझौते कर लेते हैं और फिर पीड़ित व गवाह मुकर जाते हैं, अब यह आसान नहीं होगा। अब पुलिस के लिए विवेचना में घटनास्थल पर पहुंचने से लेकर हर कदम पर वीडियो रिकार्डिंग व वैज्ञानिक साक्ष्य संकलित करने की बाध्यता है और अदालत में ट्रायल के दौरान मजबूत साक्ष्य देने होंगे।
सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता कहलाएगी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के नाम से जाना जाएगा। पुराने अधिनियम में 167 प्रावधान थे। नए में 170 प्रावधान हो गए हैं। इनमें डिजिटल साक्ष्यों का महत्व बढ़ाया गया है।
विवेचना में वीडियो साक्ष्य बेहद जरूरी
पुलिस अब तक घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य संकलन व पब्लिक के किसी भी गवाह के बयान अपने अनुसार लिख लेती थी। मगर अब सब कुछ वीडियो कैमरे की निगरानी में होगा। इससे अदालत में इन साक्ष्यों को झुठलाया नहीं जा सकेगा और न ही उनमें किसी तरह का हेरफेर किया जा सकेगा।
एक जुलाई से दर्ज मुकदमों का ट्रायल नए कानून से
नए कानून के अनुसार जो मुकदमे दर्ज होंगे, उनका ट्रायल भी नए कानून से होगा। जो मुकदमे 30 जून की रात 12 बजे के पहले पुराने कानून से दर्ज होंगे। उनका ट्रायल पुराने कानून से ही होगा।
अब गवाह को ऑनलाइन समन-गवाही की सहूलियत
नए कानून में सबसे अधिक सुविधा गवाह व वादी को दी गई है। अगर गवाह को सूचना नहीं मिल पा रही है तो वह व्हाट्सएप पर मिलने वाले समन व वारंट को भी प्राप्त होना माना जाएगा। अगर वह नहीं आ पा रहा है तो जिस जिले में मौजूद है, वहां के न्यायालय के वीडियो कान्फ्रेसिंग सेंटर से ऑनलाइन गवाही दे सकता है।
नए कानून में काफी कुछ बदलाव हुए हैं। इनमें सबसे खास बात यही है कि नए कानून के अनुसार नए मुकदमों का ट्रायल चलेगा, जबकि पुराने मुकदमों में पुराने कानून से ट्रायल चलेगा। नए कानून में बहुत से ऐसे बदलाव हुए हैं, जो संगीन मामलों में अपराधियों के लिए मुश्किल भरे हैं। जिनमें वीडियो व वैज्ञानिक साक्ष्यों के चलते अब अदालत के बाहर समझौता करना आसान नहीं होगा।
- दुष्कर्म में पीड़ित की मृत्यु व अपंगता पर मृत्युदंड की सजा होगी
- पहले से हत्या में सजायाफ्ता को दूसरी हत्या में उम्रकैद या मृत्युदंड
- दुष्कर्म-छेड़खानी पीड़िता के बयान महिला मजिस्ट्रेट ही दर्ज करेंगी
- महिला मजिस्ट्रेट न होने पर किसी महिला कर्मी की मौजूदगी जरूरी
- अब किसी भी घटनास्थल का मुकदमा किसी भी थाने में दर्ज हो सकेगा
- ऑनलाइन-व्हाट्सएप के जरिये भेजी तहरीर पर दर्ज करनी होगी रिपोर्ट
- महिला और बाल अपराध में दो माह में करनी होगी विवेचना पूर्ण
- अब जेल जाने के 40 दिन के अंदर पीसीआर लेने की सुविधा तय
- गवाह या वादी को व्हाट्सएप पर ही समन-वारंट भेजा जाना मान्य
- हर घटना की जांच में वीडियो फुटेज-वैज्ञानिक साक्ष्य पहले दिन से करने होंगे तैयार, केस डायरी में भी होंगे शामिल
- घटनास्थल, बरामदगी, पब्लिक की गवाही, वादी की गवाही, पीसीआर पर बरामदगी के बनाने होंगे वीडियो फुटेज
धाराओं में ये होगा बदलाव
महिला संबंधी अपराध
आईपीसी- बीएनएस
354- 74
354ए- 75
354बी- 76
354सी- 77
354डी- 78
509- 79
चोरी संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
379- 303(2)
411- 317(2)
457- 331(4)
380- 305
लूट संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
392- 309(4)
393- 309(5)
394- 309(6)
हत्या-आत्महत्या संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
302- 103(1)
304(बी)- 80(2)
306- 108
307- 109
304- 105
308- 110
धोखाधड़़ी संबंधी अपराध
आईपीसी-बीएनएस
419- 319(2)
420- 318(4)
466- 337
467- 338
468- 336(3)
471- 340(2)
नोट- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)-भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस)