Home Uttarakhand Dehradun जनजातियों को बाहर रखना तुष्टिकरण : जमीअत

जनजातियों को बाहर रखना तुष्टिकरण : जमीअत

जनजातियों को बाहर रखना तुष्टिकरण : जमीअत

देहरादून। Appeasement to keep tribes out समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 को सदन में पेश होने के बाद जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के प्रदेश महासचिव मौलाना शराफत अहमद कासमी ने कहा कि अभी विधेयक के प्राविधानों पर मंथन किया जा रहा है, जिन प्राविधानों का टकराव शरीअत से होगा, उन पर सरकार से वार्ता की जाएगी। मुसलमानों पर शरीअत की पाबंदी करना लाजमी हैं। जनजातियों को इस से बाहर रखना, यह दर्शाता है, कि यह बिल तृष्टिकरण के लिये लाया गया है। तलाक के मामलों का कोर्ट से ही निस्तारण का प्राविधान उचित नही है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए यूसीसी ड्राफ्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे राजनीतिक एजेंडा बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इस तरह का कानून बनाने का हक ही नहीं है। कहा कि 400 पेज के ड्राफ्ट पर बहस करना तो दूर पढ़ना भी मुश्किल है। प्रदेश सरकार इस सत्र को विशेष सत्र का नाम दे रही है। जबकि यह पूर्व में आयोजित विधानसभा सत्र का विस्तार है।

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 पेश कर दिया गया। विपक्ष के नेताओं को 2 घंटे का समय दिया गया था कि वह ड्राफ्ट का अध्ययन करके चर्चा में शामिल हो सकते हैं। विपक्ष में बैठे निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। यूसीसी बिल को लेकर उत्तराखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हम लोग इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। बल्कि हम तो चाहते हैं कि सदन संवैधानिक प्रक्रिया और नियमावली के अनुसार चले। जो उसके अनुसार चलता है। भाजपा इसकी लगातार उपेक्षा कर रही है। इससे पहले सदन के बाहर भी विपक्षी विधायकों ने विभिन्न मागों को लेकर प्रदर्शन किया।