- सहस्त्रधारा के कार्लीगाड, मझाड़ा और एमडीडीए कालोनी में वितरित की 270 राशन किट
- जमीअत के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद ने किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
- प्रतिदिन 12 सो से अधिक लोगों को भोजन मुहैया करा रही जमीअत
- एक मृतक और तीन मकान गिरने वालों को भी पहुंचाई आर्थिक मदद
देहरादून। उत्तराखंड की हालिया भीषण आपदा ने जहां सैकड़ों परिवारों को मुश्किल में डाल दिया, वहीं जमीअत उलेमा-ए-हिंद उत्तराखंड ने राहत और मानवता की एक मजबूत मिसाल पेश की है। प्रतिदिन 12 सो से अधिक लोगों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है। वहीं, मंगलवार को जमीअत ने सहस्त्रधारा के कार्लीगाड़ व मझाड़ा गांव में 70 परिवारों और एमडीडीए कालोनी में 200 परिवारों को राशन किट वितरित की। इसके अलावा 16 सितंबर से लगातार प्रतिदिन 1200 लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।

कार्लीगाड में प्रधान राकेश के साथ मिलकर जमीअत की टीम ने राशन आदि बांटा, वहीं, एमडीडीए कालोनी में क़ाज़ी दारूल कज़ा मुफ्ति सलीम अहमद कासमी की देख-रेख में 200 किट बांटी गई। जमीअत उलेमा ए हिंद उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना हुसैन अहमद क़ासमी ने आपदा प्रभावित इलाकों, सेरा गांव, कार्लीगाड़ व मझाड़ा और एमडीडीए कॉलोनी का दौरा कर वहां के हालात का जायज़ा लिया और प्रभावितों से मुलाकात की।
इस मौके पर देहरादून के जिला अध्यक्ष मौलाना अब्दुल मन्नान क़ासमी, जिला उपाध्यक्ष मौलाना रागिब मजाहिरी, शहर सदर मौलाना अयाज़़ अहमद, मुफ्ती नदीम क़ासमी, जिला कोषाध्यक्ष मास्टर अब्दुल सत्तार, मौलाना मोहम्मद उमर, मौलाना शोएब, तौफीक खान, मोहम्मद शाह नज़र, मौलाना अफसर, कारी मुक़ीम, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम संस्था की ओर से इकराम अहमद, हैदर इरशाद, हबीबुर्रहमान, सचिव मोहम्मद जाकिर अंसारी, मोहम्मद साजिद, शोएब, आलिम, मुदस्सर, फैजान, नदीम, माजिद, परवेज, अदनान, आतिफ, अन्नु, जाहिद, मुजिम्मल व फरदीन आदि मौजूद रहे।
परिवारों को पहुंचाई आर्थिक मदद
जमीअत के प्रदेश महा सचिव मौलाना शराफत अली कासमी के नेतृत्व में परवल में मृतक फरमान के परिजनों को 50 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी गई है, वही, एमडीडीए कॉलोनी में जिन घरों को रिस्पना नदी की बाढ़ ने तबाह किया, उनमें बिट्टू, इंद्रसेन, जफर व आसिफ के मकान पूरी तरह से ढह गए हैं। विगत दिनों प्रदेश महा सचिव मौलाना शराफत अली क़ासमी ने इन परिवारों को आर्थिक सहायता दी। साथ ही, फरमान के बच्चों की पूरी शिक्षा का खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी जमीअत ने ली है।